
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर: मोक्ष की नगरी का हृदय
भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र शहरों में से एक, वाराणसी (काशी) में स्थित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, सनातन धर्म के सबसे पूजनीय स्थलों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के कारण इसका धार्मिक महत्व सर्वोपरि है। यह सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि एक ऐसा स्थान है जहाँ आध्यात्म और इतिहास का संगम होता है, और माना जाता है कि यहाँ आने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मंदिर का गौरवशाली इतिहास
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास कई उतार-चढ़ावों से भरा हुआ है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण हजारों साल पहले हुआ था, लेकिन इसे कई बार आक्रमणकारियों द्वारा ध्वस्त किया गया। इसका सबसे पहला उल्लेख स्कंद पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। 11वीं शताब्दी में राजा हरिश्चंद्र ने इसका जीर्णोद्धार कराया, लेकिन समय-समय पर यह मंदिर आक्रमणों का शिकार होता रहा।
आज का वर्तमान मंदिर का निर्माण 1780 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। बाद में, महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर के शिखर को सोने से मढ़वाया, जिसके कारण इसे "स्वर्ण मंदिर" भी कहा जाने लगा। यह मंदिर कई शताब्दियों तक धार्मिक आस्था का केंद्र बना रहा।
स्थापत्य और आध्यात्मिक महत्व
मंदिर की स्थापत्य शैली पारंपरिक नागर शैली में है, जिसमें गुंबद और शिखर विशेष रूप से दिखाई देते हैं। मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा गर्भगृह है, जहाँ काले पत्थर से बना ज्योतिर्लिंग स्थापित है। यह ज्योतिर्लिंग स्वयं प्रकट हुआ माना जाता है, और इसका दर्शन करना भक्तों के लिए परम सौभाग्य की बात होती है।
ज्योतिर्लिंग के अलावा, मंदिर परिसर में अन्नपूर्णा देवी, गणेश और दंडपाणि जैसे कई अन्य देवी-देवताओं के छोटे-छोटे मंदिर भी हैं। मंदिर के पास ही ज्ञानवापी मस्जिद भी स्थित है, जो इस क्षेत्र के जटिल इतिहास को दर्शाती है।
दैनिक अनुष्ठान और परंपराएँ
काशी विश्वनाथ मंदिर में दिन की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में मंगला आरती से होती है। इसके बाद, कई अन्य पूजाएँ और अनुष्ठान दिन भर चलते रहते हैं, जिनमें भोग, श्रृंगार और शयन आरती शामिल हैं। लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं, विशेष रूप से महाशिवरात्रि और सावन के महीने में।
मान्यता है कि काशी में प्राण त्यागने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है, और भगवान शिव स्वयं उसके कान में तारक मंत्र का जाप करते हैं। इसलिए, यहाँ की गलियों में जीवन और मृत्यु दोनों ही एक साथ दिखते हैं।
काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर
हाल ही में, इस मंदिर के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ा है - काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का निर्माण। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर, इस भव्य परियोजना का उद्देश्य मंदिर को सीधे गंगा नदी से जोड़ना है। इस कॉरिडोर से पहले, श्रद्धालुओं को संकरी गलियों से होकर मंदिर तक पहुँचना पड़ता था। अब एक विशाल, चौड़ा और सुंदर मार्ग बनाया गया है, जो मंदिर के परिसर को और अधिक भव्यता प्रदान करता है।
इस कॉरिडोर में कई सुविधाएँ भी जोड़ी गई हैं, जैसे यात्री सुविधा केंद्र, म्यूजियम, वैदिक केंद्र और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स। इस परियोजना ने न केवल मंदिर के सौंदर्य को बढ़ाया है, बल्कि भक्तों के लिए दर्शन को भी अधिक सुलभ और आरामदायक बना दिया है।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र है। यह समय की कसौटी पर खरा उतरा है और हर बार अपनी भव्यता के साथ फिर से स्थापित हुआ है। यह मंदिर आज भी अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा और शांति से भक्तों को आकर्षित करता है, और काशी विश्वनाथ धाम के रूप में, यह अपनी विरासत को आधुनिकता के साथ जोड़ते हुए, आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बना रहेगा।
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